6.इक्ष्वाकु सौभरि ऋषि
जिसे मोक्ष की इच्छा है,उस पुरुष को चाहिए कि वह भोगी प्राणियों का संग सर्वथा छोड़ दे और एक क्षण के लिए भी अपनी इंद्रियों को बहिर्मुखी ना होने दें।अकेला ही रहे और एकांत में अपने चित् को सर्वशक्तिमान भगवान में ही लगा दे। यदि संग करने की आवश्यकता ही को तो भगवान के अनन्य प्रेमी निष्ठावान महात्माओं का ही संग करें। 51
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